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श्रीराम कथा: राम और लक्ष्मण का वनगमन एवं ताड़का वध

सतना बिहारी रामलीला समाज द्वारा सुभाष पार्क मैदान मे 128 वें वर्ष की रामलीला में श्रीराम चरित की एक महत्वपूर्ण घटना में, जब महर्षि विश्वामित्र द्वारा किए जा रहे यज्ञ में राक्षस और दानव विघ्न डालते हैं, तब वे राजा दशरथ के पास सहायता मांगने जाते हैं। इस समय राजा दशरथ (श्री शैलेन्द्र कुमार दुबे) अपनी चिंता व्यक्त करते हैं, क्योंकि वह अपने पुत्रों, राम (श्री रोहित) और लक्ष्मण (श्री ऋषभ) को वन में भेजने को लेकर संकोच में होते हैं। मुनि वशिष्ठ द्वारा समझाने पर, राजा दशरथ अंततः अपने पुत्रों को विश्वामित्र के साथ जाने की अनुमति प्रदान करते हैं। इसके पश्चात राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ वन में जाते हैं और वहां ताड़का व अन्य राक्षसों का वध करते हैं, जिससे महर्षि का यज्ञ बिना किसी विघ्न के संपन्न होता है। महर्षि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को बला व अति बला नामक अद्वितीय विद्या सिखाते हैं। इसके साथ ही उन्हें कई दिव्यास्त्र प्रदान करते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए अत्यधिक सहायक सिद्ध होते हैं। इस बीच, जनकपुर से विश्वामित्र को सीता स्वयंवर का निमंत्रण प्राप्त होता है। महर्षि राम और लक्ष्मण को साथ लेकर जनकपुर की ओर प्रस्थान करते हैं। मंगलेश्वर मिश्रा – शैलेन्द्र कुमार दुबे – ऋषभ शुक्ला शुभांक शुक्ला रोहित शुक्ला पार्थ शुक्ला शुभ शुक्ला कमलेश कुशवाहा डांसर कोटर, रामजी मिश्रा रमाकांत पटेल – लंकेश रावण, कमलेश गर्ग छोटकैली मेघनाद,दीपक मिश्रा- श्रृगारी उमेश सोनीइस दौरान अध्यक्ष रवि शंकर गौरी, महामंत्री राजेश चतुर्वेदी-पालन, उपाध्यक्ष सुरेश केशरवानी, नरेंद्र चंद्र गुप्ता, रामचरण गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुधीर अग्रवाल, मीडिया प्रभारी श्याम लाल गुप्ता श्यामू और अशोक खानेचा, व्यवस्थापक शिव कुमार शुक्ला, अंकुर दुबे, अशुतोष दुबे और मधुसूदन गुप्ता, श्रेय शुक्ला, राजकुमार अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, संजय अग्रवाल शामिल रहे हैं।

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