

श्री बिहारी रामलीला समाज, सुभाष पार्क में इस वर्ष हुए रामलीला मंचन के दौरान एक भावुक और महत्वपूर्ण दृश्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें सेवक भरत जी को ननिहाल जाकर तत्काल अयोध्या लौटने का संदेश देता है। भरत जी शत्रुघ्न के साथ अयोध्या लौटते हैं, और जैसे ही उन्हें कैकेयी से राजा दशरथ के स्वर्गवास की खबर मिलती है, भरत जी भावुक होकर नीचे गिर पड़ते हैं। इस दृश्य में भरत जी की व्याकुलता और अयोध्या के प्रति उनके समर्पण को अत्यंत मार्मिक ढंग से दिखाया गया, जिसने दर्शकों के दिलों को छू लिया।इसके बाद, भरत मिलाप का प्रसंग मंचित हुआ, जहाँ भगवान राम से भरत का मिलन दर्शाया गया। भरत की भगवान राम के प्रति अपार भक्ति और उनके त्याग को बेहद सजीव और संवेदनशील रूप से प्रस्तुत किया गया, जिसे दर्शकों ने दिल से सराहा।इसके अलावा, इंद्र के पुत्र जयंता से जुड़ा प्रसंग भी मंचित किया गया, जिसमें जयंता द्वारा भगवान राम की परीक्षा लेने की कथा को प्रस्तुत किया गया। यह प्रसंग अपनी धार्मिक गहराई और नैतिकता के संदेश के कारण दर्शकों के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव साबित हुआ।इस रामलीला के दौरान कलाकारों ने अपनी अद्वितीय अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भरत, राम, और शत्रुघ्न की भूमिकाओं को जीवंत किया गया, जिससे यह मंचन हर दृष्टि से सफल रहा।इस दौरान रामलीला के महंत बृजेन्द्र कुमार दुबे, सह महंत शैलेंद्र कुमार दुबे समन्वयक हरिप्रकाश गोस्वामी, नन्हू लाल गर्ग, नरेंद्र त्रिपाठी, व्यास अरुण परोहा, रामनरेश शुक्ला, अध्यक्ष रवि शंकर गौरी, महामंत्री राजेश चतुर्वेदी- पालन, उपाध्यक्ष सुरेश केशरवानी, नरेंद्र चंद्र गुप्ता, रामचरण गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुधीर अग्रवाल, मीडिया प्रभारी श्यामलाल गुप्ता श्यामू अशोक खानेचा व्यवस्थापक शिव कुमार शुक्ला, अंकुर दुबे, अशुतोष दुबे और मधुसूदन गुप्ता, श्रेय शुक्ला, पुरुषोत्तम अग्रवाल, संजय बड़ेरिया संजय गुप्ता संजय अग्रवाल मुकेश अग्रवाल ब्रजेश निगम बबलू श्रीवास्तव संजय अग्रवाल चांदी रमेश अग्निहोत्री अश्वनी अग्रवाल सहित उपस्थित रहे।