ग्रामीणों का आरोप फैक्ट्री प्रबंधन नहीं कर रहा नियमांे का पालन

मैहर अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री में होने वाले प्रदूषण से आसपास की भूमि तो बंजर हो रही है, साथ में लोगों की सेहत पर भी भारी पड़ रहा है। यहां पर फैक्ट्री में पत्थर तोड़ने में उपयोग होने वाली विस्फोटक सामग्री से लेकर चिमनी से निकलने वाला धुआं,धूल तक प्रदूषण उगलता है।
रोचक बात यह है कि शहर में वाहनों से फैल रहे प्रदूषण को रोकने के लिए शासन कठोर कदम तो उठा रहा है, लेकिन सीमेंट फैक्ट्री के आसपास उड़ती धूल से होने वाली बीमारियों और वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने को लेकर कोई सजग नहीं है। फैक्ट्री से हर दिन कितना प्रदूषण हो रहा है और इसे रोकने के लिए कौन-कौन से इंतजाम किए गए हैं। इसका कोई भी रिकाॅर्ड नहीं है। पिछले बार निरीक्षण के दौरान मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फैक्ट्री प्रबंधन को डिस्प्ले बोर्ड लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक नहीं लगे हैं। इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने मप्र शासन से सीमेंट फैक्ट्री के प्रदूषण की जांच कराने शासन से मांग की जा रही है।
1980 से स्थापित मैहर सीमेंट का पहला कारखाना अब अल्ट्राटेक हो गया है मैहर में पहले एक प्लांट संचालित हुआ करता था जो अब बढ़ कर 5 यूनिट का रूप ले लिया है कहने का मतलब है कि एक ही कैम्पस में 5 प्लांट तो मैहर में 5 गुना प्रदूषण भी बढ़ गया होगा,जब प्रदूषण बढ़ा होगा तो स्वाभाविक है कि आसपास के ग्रामीण लोग टीवी, श्वास, दमा, कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं।
मैहर के चौपड़ा पंचायत के आदिवासी श्वांस की समस्या से ग्रसित हो गया है। उसका कहना है कि वह खेत में काम करता है, फसलों पर जमा धूल से उसे एलर्जी हो गई है। अब हर दिन शाम को उसकी श्वास तेजी से चलती है
मैहर अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्ट्री के आसपास धूल धुएं का गुबार भरा रहता है इस उड़ते धूल के कण व धुएं से आसपास के लोगों में सिनकोसाइनोसिस नामक बीमारी हो रही है इस बीमारी में लोगों के फेफड़ों में धूल के कण जामां हो जाते हैं और सांस लेने में तकलीफ होती है