रवींद्र सिंह मंजू सर मैहर की कलम से

मैहर। जब आतंकियों ने महिलाओं को धमकाते हुए कहा था –”जाकर मोदी को बता देना,”तो शायद उन्हें यह अंदाज़ा नहीं था कि एक दिन यही भारतीय महिलाएँ उनका अंत लिखेंगी —वो भी सीने पर तिरंगा और हाथों में शौर्य लिए।आज उन्हीं शब्दों का जवाब गोली और गर्जना से दिया गया है,और देने वाली कोई और नहीं बल्कि भारतीय सेना की दो वीर नारियाँ हैं —विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी। रवींद्र सिंह मंजू सर मैहर की कलम कहती है कि जो तोको कांटा बोय, वाय बोए तू भाला। वो भी साला क्या जानेगा पड़ा किसी से पाला।। इसी को सार्थक करते हुए इन्होंने उस जवाबी मिशन को नाम दिया—”ऑपरेशन सिंदूर”सोचिए, यह नाम सिर्फ एक ऑपरेशन का नहीं है,बल्कि उस संस्कृति, परंपरा और सिंदूर की शौर्यगाथा है जिसे आधुनिक सोच ने कमज़ोरी समझने की भूल की।सिंदूर — जिसे पहनने वाली स्त्री को सिर्फ एक पत्नी नहीं,बल्कि देवी की तरह पूजने की परंपरा रही है।आज उसी सिंदूर की रक्षा में,भारत की बेटियाँ मोर्चे पर खड़ी हैं —हथियार थामे, दुश्मनों का सफाया करते हुए।ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्यवाही नहीं,यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है,जिसने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय नारी अब अबला नहीं, सबला है —जो पूजा भी जा सकती है, और युद्धभूमि में दुश्मनों को मिटा भी सकती है।ये जवाब था उन आतंकियों को,और उन विचारों को भी जो सिंदूर को पिछड़ापन समझते हैं।अब दुनिया जान चुकी है —”सिंदूर केवल सौंदर्य नहीं, यह शक्ति, साहस और संस्कार का प्रतीक है।” रवींद्र सिंह मंजू सर मैहर की कलम कहती है कि बर्र के छत्ते में हाथ डालो कोई बात नहीं, घोड़े की पूंछ खींचों कोई बात नहीं, सांप के बिल में हाथ डालो कोई बात नहीं, साड़ की अंगाड़ी खड़े हो जाओ कोई बात नहीं। लेकिन ऐ पाकिस्तान भारत एक सोता हुआ शेर सिंह है इसे मत जगाओ नहीं तो तुम्हारा अस्तित्व ही मिट जाएगा। भारत जैसे शेर को मत जगाओ। और तुमने जगाया तो देख लिया भारत की शेरनियों की ताकत अभी तो शेर आराम कर रहे है।