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श्रम संहिताओं को वापस ले सरकार- सीटू

सीटू के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर एमपीएमएसआरयू सतना इकाई के द्वारा आज प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन सतना जिला कलेक्टर को सौंपा

सतना। एमपीएमएसआरयू के प्रदेशाध्यक्ष कॉमरेड संजय सिंह तोमर ने बताया कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के बाद एनडीए के रूप में गठित केंद्र सरकार ने अपने गठन के साथ 100 दिन की जो कार्य योजना बनाई है उसमें देश के मजदूरों को गुलाम बनाने वाली श्रम संहिताओं को लागू करने की है। गत 20 जून 2024 को केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के श्रम सचिवों तथा श्रम आयुक्तों की बैठक कर चार श्रम संहिताओं को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है।
आजादी के पहले और बाद में मजदूरों के संघर्षों और कुर्बानियों से बने 44 श्रम कानूनों में से 29 श्रम कानूनों को चार मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं (लेबर कोड) में बदल दिया गया है। इससे 74% मजदूर सामाजिक सुरक्षा व 70% उद्योग श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे । इन चार लेबर कोड्स में हड़ताल करने पर मजदूरों हेतु सख्त सजाओं का प्रावधान किया गया है।
सीटू सतना के जिला संयोजक कॉमरेड वीरेन्द्र सिंह रावल ने कहा कि केंद्र सरकार ने फिक्स्ड टर्म रोजगार की अधिसूचना पहले ही जारी कर दी है, जिससे मजदूर नियमित रोजगार से वंचित हो जाएंगे । मजदूरों के काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 12 घंटे करने की अधिसूचना भी जारी हो चुकी है। यह सरकार नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, कोयला में एमडीओ रिवेन्यू शेयरिंग मॉडल तथा अन्य तरीकों से सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण के लिए तेजी से कदम पबढ़ा रही है ।
सतना इकाई के उपाध्यक्ष कॉमरेड मनोज गौतम ने बताया कि देश में संभवत पहला मामला है जहां मध्य प्रदेश के अंदर कानूनी रूप से न्यूनतम वेतन पुनरीक्षण के लिए निर्धारित 5 वर्ष के अंतराल के बाद होने वाले पुनरीक्षण को 9 वर्ष के बाद तमाम काट छांट करने के बाद लागू किया गया । केवल एक महीने मई 2024 के वेतन में यह मिला था, तथा
उसके बाद उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ द्वारा जारी स्थगन आदेश के बहाने 24 मई 2024 को श्रम आयुक्त मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी किए गए इस आदेश से बढ़े हुए वेतन को भी वापस ले लिया गया। इससे न सिर्फ यह वेतन वृद्धि छीन गई बल्कि मई 2024 में बढ़ी हुई राशि को भी वापस जबरन वसूली करने का अधिकार तमाम कारखाना मालिकों को मिल गया।
इकाई सहसचिव आनंद सिंह चौहान ने बताया कि इन कारगुजारीयो के चलते न्यूनतम वेतन कानून के दायरे में आने वाले मध्य प्रदेश के 25 लाख से ज्यादा श्रमिक कर्मचारियों में कुशल को 1625 रुपए, अर्ध कुशल को 1764 रुपए, कुशल को 2109 रुपए तथा अति कुशल को 2434 रुपए मासिक कटौती झेलनी पड़ रही है ।
सतना इकाई के सहसचिव कॉमरेड विवेक यादव ने बताया कि इसी प्रकार मध्य प्रदेश का श्रम विभाग मध्य प्रदेश में कार्यरत लाखों लाख दवा एवं चिकित्सा प्रतिनिधियों हेतु काम के 8 घंटे के काम की घोषणा करने एवं इसे लागू करने में असफल साबित हुआ है, जबकि देश के आठ प्रदेशों में दवा एवं चिकित्सा प्रतिनिधियों हेतु काम के 8 घंटे की अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
इन परिस्थितियों में हमारी मांग है की है चारों काली श्रम संहिताएं (लेबर कोड्स) खत्म किए जाएं।

  1. दवा प्रतिनिधियों सहित सभी श्रमिकों के लिए 26000/- प्रति माह न्यूनतम वेतन सुनिश्चित किया जाए।
  2. काम के घंटे बढ़ाने के लिए किए गए वैधानिक संशोधन रद्द किए जाएं।
  3. सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम पेंशन 9000/- प्रति माह या उससे अधिक सुनिश्चित किया जाए।
  4. फिक्स्ड टर्म अपॉइंटमेंट की अधिसूचना को रद्द करते हुए सभी श्रमिकों के लिए नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए तथा समान काम समान वेतन व अन्य हित लाभ सुनिश्चित किए जाएं।
  5. कर्मचारी भविष्य निधि (इ.पी.एफ.), कर्मचारी पेंशन योजना (ई.पी.एस.)और एम्पलाइज डिपॉजिट लिक इंश्योरेंस (इ.डी.एल.आई.) का बकाया न चुकाने वाले नियोक्ताओं पर दंडात्मक शुल्क कम करने वाली अधिसूचना रद्द की जाए।
  6. नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन को खत्म करें तथा सार्वजनिक क्षेत्र के सभी प्रकार के निजीकरण पर रोक लगाई जाए ।
  7. आई.टी. और आइ.टी.ई.एस. को श्रम कानून से छूट देने वाली अधिसूचना रद्द की जाएं।
  8. योजना कर्मियों तथा अन्य को श्रमिक के रूप में मान्यता देते हुए उन्हें न्यूनतम वेतन व पेंशन इत्यादि सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिया जाए।
  9. न्यूनतम वेतन के परिपेक्ष में मध्य प्रदेश सरकार हाई कोर्ट से स्थगन समाप्त करने हेतु मुस्तेदी से अपना पक्ष रखें।
  10. सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाएं।
  11. दवा एवं अन्य विक्रय संवर्धन में लगे कर्मियों हेतु 8 घंटे के काम की घोषणा कर उसे सख्ती से लागू किया जाए।
  12. जिन नियोजनों में न्यूनतम वेतन लागू है वहां 8 घंटे के कार्य दिवस पर आधारित न्यूनतम वेतन का भुगतान सुनिश्चित करते हुए अतिरिक्त कार्य हेतु नियमानुसार दुगनी दर से भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
  13. दवा एवं विक्रय प्रतिनिधियों हेतु गठित त्रिपक्षीय समिति की बैठक बुलाते हुए सभी दवा एवं विक्रय प्रतिनिधियों हेतु समान कार्य नियमावली को लागू किया जाए।
  14. आज के कार्यक्रम में प्रमुख रूप से एमपीएमएसआरयू के प्रदेशाध्यक्ष संजय सिंह तोमर,सीटू सतना के संयोजक वीरेंद्र सिंह रावल,सीटू केजेएस सीमेंट यूनियन के अध्यक्ष निलेन्द्र गुप्ता, पुष्पेंद्र सिंह,सतना इकाई के उपाध्यक्ष मनोज गौतम,सहसचिव द्वय आनन्द सिंह चौहान,विवेक यादव,कार्यकारणी सदस्य रणवीर सिंह,अंकुश मिश्रा, शैलेश कुशवाहा,विकास त्रिपाठी, राजीव वर्मा,वरिष्ठ सदस्य मनोज सिंह राठौर, सगीर खान, संजय मिश्रा, आशीष कुशवाहा, ज्ञानेस्वर सिंह, संजीत कुमार, रितेश सिंह,कुमुद खरे,उमेश सिंह, राजीव सिंह की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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