इंदौर। पीजी काउंसलिंग में प्रदेश के विद्यार्थियों की अनदेखी का मामला उच्च न्यायालय पहुंचा है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के खिलाफ दायर याचिका में कहा है कि विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम में प्रवेश के नियमों में बदलाव कर दिया है। इस वजह से सीयूईटी पीजी की काउंसलिंग में प्रदेश के अनारक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश प्रक्रिया में प्राथमिकता नहीं दी गई। याचिका पर इसी सप्ताह सुनवाई हो सकती है। यह याचिका सुरेंद्रपाल सिंह अलावा ने एडवोकेट विक्रम मालवीय ने दायर की है। इसमें बताया गया कि सीयूईटी पीजी की पहले चरण की काउंसलिंग में एमबीए मार्केटिंग मैनेजमेंट, फाइनेंस एडमिनिस्ट्रेशन, ह्मुमन रिसोर्स, ई-कॉमर्स सहित अन्य पाठ्यक्रम में अनारक्षित वर्ग की सीटों में 90 फीसद अन्य राज्यों के छात्र-छात्राओं को प्रवेश दिया है, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के विद्यार्थी शामिल है। मध्य प्रदेश के छात्र-छात्राओं को कम सीटें आवंटित की गई। इस मामले में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापकों को भी नियम हटाने संबंधित स्थिति स्पष्ट नहीं है। वरिष्ठ प्राध्यापकों के मुताबिक 2020 से पहले विश्वविद्यालय के यूजी-पीजी में प्रवेश के लिए सीईटी हुआ करती थी, जिसमें विद्यार्थियों की रैंक आल इंडिया और एमपी रैंक दर्शाई जाती थी। मगर इन दिनों सीयूईटी में एमपी रैंक हटा दी है। यहां तक कि काउंसलिंग में पंजीयन के दौरान मध्य प्रदेश के विद्यार्थियों से मूल निवासी नहीं जमा करवाया जाता है।
