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स्वर्गवासी व्यक्तियों पर टिप्पणी उचित नही , जनार्दन मिश्रा व सुब्रमण्यम स्वामी का बयान घोर निंदनीय

मैहर। पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारतीय जनतापार्टी के अपने संस्कार है उनकी अपनी रीति नीति है इससे हमें कोई लेना देना नही लेकिन स्वर्गवासी हुए लोगो पर अनैतिक टिप्पणी करना न्याय संगत नही। विगत दिनों भाजपा के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी पर गलत बयानबाजी गलत टिप्पणी की उनके चरित्र को लेकर तमाम बयानबाजी की यह ठीक नही जो व्यक्ति दुनिया मे नही उनके बारे में बयानबाजी किया जाना धार्मिक रूप से भी उचित नही। सुब्रमण्यम स्वामी भाजपा के ही नेता है और पूर्व प्रधानमंत्री पर इस तरह का बयान की अटल जी क्या थे कैसे थे ये उचित नही। इस तरह में तो जो हमारे शास्त्र पुराण धर्मग्रंथ है रामचरित मानष के रचयिता महर्षि बाल्मीक जी के बारे में प्रचलित कहानी है कि वे कभी डाका डालते थे डकैत थे लोगो से लूटपाट किया करते थे लेकिन इतना बड़ा महाकाव्य लिख डाला। करपात्री जी महाराज ने कहा था *अति अतैव उच्चते* यानी अति का अंत नही होता बल्कि अति एकबार अपने उच्च स्थान तक पहुचती है। जो समाज सुधारक होते है उनके मन मे समाज को लेकर पीड़ा तकलीफ होती है समाज के प्रति जब नफरत आती है तो वे समाज विरोधी हो जाता है और जो ऐसा समाज विरोधी होता है जब उसके मन मे वैराग्य उत्पन्न होता है तो वह व्यक्ति बहुत बड़ा संत हो जाता है। अटल बिहारी बाजपेयी जी जैसे संत के स्वर्गवासी होने के बाद इस तरह के आक्षेप लगाना बयानबाजी करना भारतीय जनता पार्टी के ही रीति रिवाज चाल चरित्र का ही अंश हो सकता है। पर जनार्दन मिश्रा जी रीवा के ही है और इस तरह से स्वर्गीय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी जी को लेकर बयान बाजी करना भारतीय जनता पार्टी के संस्कारों को प्रदर्शित करता है। मैं ऐसे बयानों की घोर निंदा करता हु साथ ही अपील करता हु कि ऐसे लोगो का राजनैतिक और सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिए। हमारे विंध्यवासी ऐसे बयानों पर चिंतन मंथन करे। भारतीय जनता पार्टी का ये चेहरा तो इनके सत्ता में आने के बाद पूरे देश ने देखा कि बनी बनाई सरकारों को गिरा देना,जहां अल्पमत में हो वहां भी सरकार बनाना,सांसद विधायको को उनकी मूल पार्टियों से तोड़ फोड़ लेना आदि। लेकिन अब स्वर्गीय नेताओ के चरित्र पर लांछन लगाना उन्हें नीचा दिखाना इनके संस्कारो में शामिल होता जा रहा है जो घोर निंदनीय है जिसकी मैं एकबार पुनः कड़े शब्दों में निंदा करता हु।

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