
सतना श्री बिहारी रामलीला समाज, सुभाष पार्क में 128वें रामलीला मंचन का शुभारंभ हो गया है। रामलीला मंचन की यह गौरवशाली परंपरा हर साल भक्तों को भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ी शिक्षाओं और आदर्शों से प्रेरणा देती है। इस वर्ष की रामलीला का आरंभ “नारद मोह” प्रसंग से होगा, जिसमें नारद मुनि की तपस्या को भंग करने के लिए इंद्र देव कामदेव को भेजते हैं। कामदेव, नारद मुनि की तपस्या भंग करने में असफल रहते हैं, जिससे वे त्राहिमाम कर नारद मुनि से क्षमा याचना करते हैं। तपस्या पर विजय प्राप्त करने के बाद, नारद मुनि में अहंकार उत्पन्न हो जाता है। इस अहंकार को समाप्त करने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु अपनी लीला रचते हैं, जिसके परिणामस्वरूप नारद मुनि क्रोधित होकर भगवान विष्णु को शाप देते हैं। इसी शाप के कारण भगवान विष्णु के श्री राम अवतार की भूमिका निर्मित होती है। रामलीला में महंत बृजेन्द्र कुमार दुबे, सह महंत शैलेंद्र कुमार दुबे समन्वयक हरिप्रकाश गोस्वामी के साथ प्रमुख भूमिकाओं में मंगलेश्वर मिश्रा, नन्हू लाल गर्ग, नरेंद्र त्रिपाठी, व्यास अरुण परोहा, रामनरेश शुक्ला, रामनाथ दहिया, और रामकांत पटेल मंच पर नजर आएंगे। श्री बिहारी रामलीला समाज के इस ऐतिहासिक मंचन में दर्शकों को एक बार फिर भारतीय संस्कृति, धार्मिकता और मर्यादा की झलक देखने को मिलेगी, जिससे वे प्रेरणा लेकर जीवन में सदाचार का पालन कर सकें।रामलीला के आयोजन में अहम भूमिका निभाने वाले पदाधिकारियों में अध्यक्ष रवि शंकर गौरी, महामंत्री राजेश चतुर्वेदी-पालन, उपाध्यक्ष सुरेश केशरवानी, नरेंद्र चंद्र गुप्ता, रामचरण गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुधीर अग्रवाल, मीडिया प्रभारी श्याम लाल गुप्ता श्यामू और अशोक खानेचा, व्यवस्थापक शिव कुमार शुक्ला, अंकुर दुबे, अशुतोष दुबे और मधुसूदन गुप्ता, श्रेय शुक्ला, राजकुमार अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, संजय अग्रवाल शामिल हैं। ये सभी पदाधिकारी अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए रामलीला के आयोजन को सफल बनाने में पूर्ण समर्पण और उत्साह से जुटे हुए हैं। श्री बिहारी रामलीला समाज की यह वार्षिक रामलीला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति और लोककला का भी महत्वपूर्ण अंग है, जो लोगों को आपसी सहयोग, सद्भाव और संस्कारों से जोड़ती है।